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उठो मेरे लाल / अनुभूति गुप्ता
Kavita Kosh से
अब आँखें खोलो मेरे लाल,
अब मुँह धो लो मेरे लाल।
मैं जग में पानी लायी हूँ,
तुम्हें जगाने को आयी हूँ।
खट्ठे-मीठे और रसीले,
आम बहुत है पीले-पीले।
खाकर इनको भूख मिटाओ।
फिर अपने विद्यालय जाओ।।