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उठ खड़े हुए लोग अत्याचार के खिलाफ / सांवर दइया
Kavita Kosh से
उठ खड़े हुए लोग अत्याचार के खिलाफ़।
पहला पत्थर लीजिये दीवार के खिलाफ़!
आपके हैं लेकिन जुल्म में साथ न देंगे,
किसी की हो, हम तो हैं तलवार के खिलाफ़!
खूब जश्न मना रहे उनके बिक जाने पर,
इधर देखिये, हम खड़े सरकार के खिलाफ़।
सिक्का सीधा गिरे या उल्टा, जीत आपकी,
कहीं खेलिये, हम हैं इस किमार के खिलाफ़।
मकानों के नक्शे औ’ जिस्मों की नुमाइश,
गैरत बेच कैसे हों हक़दार के खिलाफ़!