उठ पिया आधी सी रात / हरियाणवी
उठ पिया आधी सी रात, कोई ढूंढो राजा अपने भातइये
ढूंढा धुर गुजरात, पाये ताऊ जाये पूत
हम तो री बहना अपनी बहना के बीर अपना भैया ढूंढ लो
हिरदय अंगीठी रे राजा जल रही उठ पिया आधी सी रात
सारा ढूंढा पिया मारवाड़ सगला ढूंढ डाला गंगा पार
पाये चाचा जाये पूत
हम तो अपनी बहना के बीर अपना भैया ढूंढ लो
सारा ढूंढा पिया मगध रे ढूंढा गौड बंगाल
अपना भैया ना मिला, मिल गया मामा जाया पूत
हम तो अपनी बहना के बीर अपना भैया ढूंढ लो
आगे चली ढूंढती मिल गये मैया जाये बीर
किन्नै री जीजी! बोले हैं बोल किन दिया उलाहना
ताऊ जाये बोले हैं बोल चाचा जाये दिया उलाहना
ली बहना गले लगाय, आंसू पोंछे बहना सालू से
कोई कै दसिया के तेरा मढ़हा कोई कै दसिया का ब्याह
जाओ जीजी घर आपने लाऊंगा दो दल जोड़
गये वह बजाज की दुकान, सालू बिसावै अपनी बहन को
गये हैं पंसारी की हाट, गोले मेवा मंगावै बहन को
गये हैं सराफ की दुकान, गहने मंगावै अपनी बहन को
लाद लूद सामान चल पड़े, आये बहन दरबार
किसियौ ने आंगन लिपाइयां भैया ने उलदा है भात जी
बहन सुभद्रा ने आंगन लिपाइयां भैया ने उलदा है भात जी
सूना आंगन भर गया मेरा आया माई जाया बीर
सूना आंगन भर गया मेरे आये भतीजे चार