Last modified on 7 सितम्बर 2020, at 12:48

उड़ने की आरज़ू में हवा से लिपट गया / नुसरत मेहदी

उड़ने की आरज़ू में हवा से लिपट गया
पत्ता वो अपनी शाख़ के रिश्तों से कट गया

ख़ुद में रहा तो एक समुंदर था ये वजूद
ख़ुद से अलग हुआ तो जज़ीरों में बट गया

अंधे कुएँ में बंद घुटन चीख़ती रही
छू कर मुंडेर झोंका हवा का पलट गया