उड़ी उड़ी सुवा ना, का बोली बोले वो / छत्तीसगढ़ी
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
उड़ी उड़ी सुवा ना, का बोली बोले वो
उड़ी उड़ी सुवा ना, तोर बोली बोले
लाली चनारिया मोहनी मुरतिया
देखत मन ला मोहे वो
उड़ी उड़ी सुवा ना, का बोली बोले वो
उड़ी उड़ी सुवा ना, तोर बोली बोले
गाँवे शहर मा तोर होथे बड़ाई वो, जा के डोंगरगढ़ मा बसे बम्लाई
दूसर रूपे मा शारदा कहाये वो, जाके शहर तैं हा मईहर बसाये
माथे मा टोकिया, सोन के अंगूठीया, दसों अंगुरिया मा सोहे वो
उड़ी उड़ी सुवा ना, का बोली बोले वो
उड़ी उड़ी सुवा ना, तोर बोली बोले
चंद्रहासिनी चंदरपुर मा बिराजे वो, हे महामाया रतनपुर मा साजे
डिंडेश्वरी तैं मल्हार मा कहाये वो, जा के जिंहा दाई सोना बरसाये
नवदिन नवरात जोत, बरत हे दिया ना, मईया के झूलना झूले वो
उड़ी उड़ी सुवा ना, का बोली बोले वो
उड़ी उड़ी सुवा ना, तोर बोली बोले
लाली चनारिया मोहनी मुरतिया, देखत मन ला मोहे वो
उड़ी उड़ी सुवा ना, का बोली बोले वो
उड़ी उड़ी सुवा ना, तोर बोली बोले