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उड़ गेलइ फुद्दी चिड़इयाँ / सिलसिला / रणजीत दुधु
Kavita Kosh से
उड़ गेलइ फुद्दी चिड़इयाँ, अँगनमा सून हो गेलइ
बदरी नुकइलक तरेंगना, गगनमा सून हो गेलइ।
छप्पर के ओलती में कइले हल बसेरा
घास-फुस ला-ला सजावऽ हल खूब डेरा
चीं-चीं-चें गावऽ हल गनमा, भवनमा सून हो गेलइ
उड़ गेलइ फुद्दी चिड़इयाँ, अँगनमा सून हो गेलइ।
फुदक-फुदक नाचऽ हल टोंटी अँगनमा
बढ़नी संग ताल मिलवे भउजी के कँगनमा
धइल-धइल जुट्ठा भतवा, बरतनमा सून हो गेलइ
उड़ गेलइ फुद्दी चिड़इयाँ, अँगनमा सून हो गेलइ।
घर बगेरी, गोरइया चिड़इयाँ फुद्दी
रोज खिलवऽ हल छिट-छिट मइया हमर खुद्दी
झूम-झूम झूलऽ हल झुलुवा, टँगनमा सून हो गेलइ
उड़ गेलइ फुद्दी चिड़इयाँ, अँगनमा सून हो गेलइ।