उड़ रही है फ़ाख़्ता / यून्ना मोरित्स / वरयाम सिंह
उड़ रही है फ़ाख़्ता, एक सफ़ेद फ़ाख़्ता ।
उसका पीछा कर रहा है क्रुद्ध बाज़ ।
माँ, बचा मुझे, ऐसा करिश्मा कर दिखा
आसमान में बना दे मुझे बारिश की एक बूँद ।
बहुत लम्बा जा रहा यह युद्ध , भयानक लम्बा !
छाती में लगी गोली के साथ कठिन हो रहा है भागना
कभी न हो पाऊँगी बड़ी मैं उस ज़िन्दगी में
यदि इसी वक़्त न हो सकूँ — आजाद बहती हवा।
हमारे लोग आएँगे, जलाएँगे तारे
मुझे याद करेंगे, हमारे गीत गाएँगे
माँ, बचा मुझे , ऐसा करिश्मा कर दिखा —
एक टहनी बना दे मुझे उजले जंगल में !
अलविदा, माँ, बाएँ पँख में गहरी चोट आई है !
कल सूर्य जल्दी निकल आएगा इस जंगल में
हमारे लोग आएँगे, वे तारे जलाएँगे
मुझे याद करेंगे, हमारे गीत गाएँगे ।
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह
लीजिए, अब यही कविता मूल भाषा में पढ़िए
Юнна Мориц
Голубь летит, голубь летит...
Голубь летит, голубь летит - белый.
Черный за ним ястреб летит в гневе.
Мама, спаси, чудо со мной сделай, сделай -
Сделай меня каплей дождя в небе!
Эта война - страшно длинна, страшно!
С пулей в груди - больно бежать, больно!
Мне никогда в жизни не стать старше,
Если сейчас ветром не стать вольным.
Наши придут, звезды зажгут наши,
Вспомнят меня, песни споют наши.
Мама, спаси, чудо со мной сделай, сделай
Сделай меня вербой в лесу белой!
Мама, прощай, в левом крыле - рана!
Завтра в лесу солнце взойдет рано...
Наши придут, звезды зажгут наши,
Вспомнят меня, песни споют наши.