भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उडीक / सांवर दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बातां रो बाजार गरम है
घरां
   सड़कां
होटलां
             अर दफ्तरां में
भाप अर धूंवै में
डूब्योड़ा लोग
उडीकै
ऐ सड़कां
खून सूं लाल
कद हुवैला ?