उत्तरक प्रतीक्षा मे / कुलानन्द मिश्र
निमूह सभक हत्याक नव ओरिआओनक संग
एकटा नव कथाक आरम्भ होइछ
नव भंगिमा संग कहल जाइत
धमकी छाप शौर्यक कथा
ई कथा
कोनो फोर्ड किंवा कोनो बिड़लाक आँखिक चमक
कोनो जॉन किंवा रामधारीक आँखिक अन्हार सँ
शुरू होइछ
बजार मे पट्टेदार सभ
एकटा नव खाता खोलैत अछि
दुनियाक भूगोलक किताब मे
थोड़ेक संशोधन होइत छैक
घर मे कोनहुना सुख सँ जीबैत बहुमत
अल्पमतक कौशल सँ
सड़क पर आबि ढहनाय लगैछ
कतोक मड़इ धराशायी होइत छैक
आ एकटा कोनो अटारी
गगनचुम्बी बनि ठाढ़ि होइछ
उतरैत राति मे प्रातिक स्वर
अपनहि थर-थराय लगैछ
स्वप्नक संग जीबैत लोक केँ
स्वप्न-बाधा सँ खौंझ होइछ
क्षीर-सागर मथैत-मथैत
आ पुष्पक विमान पर सवारी करैत
लोकसभक प्रज्ञा सहजहिं
एतेक स्फीत आ गगनचारी भ' गेलैए
जे धरतीक खिस्सा आब
कोनो दुखान्त नाटक जकाँ
त्रासद बुझाइत छैक
ओना धरतीक खिस्सा सरिपहुँ
माटिक आखर मे अंकित
लौह-घटित त्रासदी होइछ
तखन लोक केँ ई आब बुझाइत छैक
जे दुखान्त नाटकक सभ अभिनेता
समय अयला पर कोनो पार्ट
खूब दक्षता संग खेला सकैछ।