उत्तर धाम / जतरा चारू धाम / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
ततय पथिक! किछु काल बिलमि वंकिम पथ विन्ध्य अखड
उन्मुख चौदिस परिक्रमण कय चलब उत्तरा खड।।36।।
बिच बिच गुर्जर सिन्धु कच्छ सौवीर पंचनद प्रान्त
राजस्थान प्रभृति जन जनपद पद-पद चलि अभ्रान्त।।37।।
संग्रामी बलिदानी बीरक गढ़-गढ़ीक पढ़ि वृत्त
अपन देश - गौरव गुण-गाथा सुनि मन करब पवित्र।।38।।
गुर्जर महाराष्ट्र सौराष्ट्र विदर्भ आन्ध्र सन्दर्भ
अवधक अवधि वत्स कौशल कनडेरियहु तकइत वर्ग।।39।।
मण्डल - मण्डित देश अखण्ड भरत - खण्डक दिक्पाल
बदरी-केदारक यात्रा अहँ करब पथिक नतभाल।।40।।
पूजि हिमाद्रि अवस्थित वैष्णव, कुंकुम रंजित वेश
गंगा डुब दय, मानस रस लय, प्रविशब नगपति देश।।41।।
पुनि बदरी-केदारक दर्शन जनम न दोसर योनि
उत्तर आश्रम गमन-श्रमक अछि उचित मुक्तिहिक बोनि।।42।।
श्रीबदरी-केदार पुजब हरि हर, पूरब मन काम
ज्योतिर्मय जोशीमठ दर्शन करइत ललित ललाम।।43।।