उत्तर सत्य – दो / राकेश रेणु
हम शान्तिप्रिय देश हैं
विविधता में एकता वाले
हम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं
हम एक जनतान्त्रिक देश हैं
हम ख़ुशहाल हैं
हमने करोड़ों लोगों को रोजगार दिए
सबको दी शिक्षा, सुरक्षा और सेहत का प्रकाश
इतिहास का गौरव है हमारे साथ
वैज्ञानिक चेतना है हममें
मानवीय सम्वेदना से लबरेज़ हैं हम
दलित, स्त्रियाँ, वंचित, सब बराबर यहाँ
— संविधान देख लो
तर्क और विमर्श हमारी परम्परा का हिस्सा हैं
हम विचारों का सम्मान करते हैं
असहमति का आदर परम्परा हमारी
हमारी कथनी करनी एक-सी
कोई बनाव-दुराव नहीं हममें
पारदर्शी हैं हम, हमारा कार्य-व्यवहार
हमसे पहले कुछ नहीं था —
न जल, न वायु, न पृथ्वी, न आकाश
मध्यकाल एकदम नहीं था
इतिहास का उद्गम वहीं से होता है जहाँ हमने शोध कर बताया
हज़ारों साल पहले
हमने दिए दुरूह शल्य कौशल
आणविक शक्ति रही हमारे पास
हमने ही बनाए विमान, राकेट, मिसाइलें
पहले-पहल
हमने कहा केवल ध्रुव सत्य, किया सदैव सर्वश्रेष्ठ
सत्य से परे कुछ न था
श्रेष्ठता हमारी रही प्रश्नातीत !