भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उदना रेख करम में खाँची / ईसुरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उदना रेख करम में खाँची।
होन हार सो साँची।
जैसी लिखी भाग में भाबई
आन अगारूॅ नाँची।
पक्की मौत होत पाँवँन की
उबै गिनो ना काँची।
राखी बात आपविघ हाँतन
आन बदे मैं बाँची
साजी बुरई ईसुरी चर्चा
सिनसारी में माँची।