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उदयवीर सिंह के नाम / कांतिमोहन 'सोज़'

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(यह ग़ज़ल उदयवीर सिंह के नाम)

इतना न हँसाओ कहीं कुछ टूट गया है।
एक शम्आ जलाओ कहीं कुछ टूट गया है॥

मुमकिन है कि इस बार न चमके कोई कौंधा
मत जाम उठाओ कहीं कुछ टूट गया है।

रेज़ों में बिखर जाए तो होता है नुकीला
ठोकर न लगाओ कहीं कुछ टूट गया है।

क्या तुमको तमाशे का कोई शौक़ नहीं है
टुक दौड़के आओ कहीं कुछ टूट गया है।

वो दिल तो नहीं था कोई आवाज़ न आई
आवाज़ उठाओ कहीं कुछ टूट गया है।

तूफ़ाँ में चराग़ों ने कफ़न ओढ़ लिया है
अब दिल ही जलाओ कहीं कुछ टूट गया है।

अपना है अहद सोज़ कि हम कुछ न कहेंगे
अंदाज़ा लगाओ कहीं कुछ टूट गया है।

2002-2017