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उदय शंकर शर्मा कविजी / गौतम-तिरिया / मुचकुन्द शर्मा

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मगही के सुन्दर ललाट पर दधि, दूर्वादल चंदन,
अजी उदय शंकर जी स्वीकारो जनगण अभिनंदन।
गाँव और गँवई के सीधा सादा यथा किसान,
करते रहला सब दिन से मगही भाषा गुण-गान।
शांत, सरल, त्यागी गीता के मगही में अनुवाद,
कृष्ण आउ अर्जुन के खूब करैला तों संवाद
गीता के ज्ञानी हा तों हा मगही के बड़ सविता,
मगही में लिखला कत्ते ने सुन्नर उत्तम कविता।
कोकिल कंठी तोर कंठ से उमड़ल मगही गीत,
रंग-मंच पर ऐते सबके मन के लेहा जीत।
तों बिहार मगही के बनला हें नवीन अध्यक्ष,
हिन्दी-मगही के बनला हें नवीन अध्यक्ष,
मगही-गौरव! तोर नाम जाने हे सगर बिहार,
मगही के विकास ले सगरो रहला खूब दहाड़।
बजलै झाँझ-मृदंग कि मगही के ऐला आराधक,
अजी उदयशंकर जी तोंतो हा मगही के साधक।
राजनीति के दलदल में खिल रहल कमल के फूल,
सजलै क्यारी अब सरसों के उखड़ल सगर बबूल।
जनता के दुख-दर्द और करुना के हा तों गायक,
उदय मंच पर अर्जुन के समान तानो तों शायक।
जे अभाव में मगही के कवि ओकरा अर्थ उपाय,
देलवावो आर्थिक सहायता ई हे नयका न्याय।
मगही के सारथी! तोरा ले खड़ा विजय के स्यंदन,
अजी उदयशंकर जी स्वीकारो जनगण अभिनंदन।
झुको-झुकावो सबके स्वीकारो तों शत-शत वंदन,
अजी उदयशंकर जी स्वीकारो जनगण अभिनंदन।