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उदासीनीकरण / ऋचा दीपक कर्पे
Kavita Kosh से
नही हो सकता
कोई शत प्रतिशत अच्छा
या बुरा बिलकुल ही ...
मौजूद होती है मनुष्य में
अच्छाइयाँ और बुराइयाँ
अम्ल और क्षार की तरह।
अधिकता कभी अम्ल की
तो कभी क्षार की।
चलती रहती है,
उदासीनीकरण की क्रिया
शरीर में निरंतर
जहाँ अम्ल और क्षार मिलकर
बनाते रहते हैं
नमक और पानी
जो बह जाता आँखों के रास्ते
कभी गम के
तो कभी खुशी के
आँसू बनकर...