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उदास रात है कोई तो ख़्वाब दे जाओ / बशीर बद्र
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उदास रात है कोई तो ख़्वाब दे जाओ
मेरे गिलास में थोड़ी शराब दे जाओ
बहुत से और भी हैं ख़ुदा की बस्ती में
फ़क़ीर कब से खड़ा है जवाब दे जाओ
मैं ज़र्द पत्तों पे शबनम सजा के लाया हूँ
किसी ने मुझसे कहा था हिसाब दे जाओ
मेरी नज़र में रहे डूबने का मंज़र भी
गुरूब होता हुआ आफ़ताब दे जाओ
फिर इसके बाद नज़रे नज़र को तरसेंगे
वो जा रहा है खिजां के गुलाब दे जाओ
हज़ार सफ़ों का दीवान कौन पढ़ता है
'बशीर बद्र' कोई इन्तखाब दे जाओ