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उद्भव / वंशी माहेश्वरी

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जीवन उद्गम में
जीवन के बाहर होने का
संदेह छिपा है

मृत्यु
संशय के बाहर हो कर
अपनी अथाह शान्ति के
पवित्र आलोक मे
प्रकाशित होती है
संपूर्ण।
जीवन उद्गम में
जीवन के बाहर होने का
संदेह छिपा है