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उनका शेवा है सदा सब से गुरेज़ाँ होना / सिया सचदेव

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उनका शेवा है सदा सब से गुरेज़ाँ होना
बेवफ़ाई पे कभी उनकी न हैरां होना

तेरी यादो को मेरे दिल में हैं मेहमान होना
काम मुश्किल हैं मगर इसको हैं आसां होना

मुझपे इलज़ाम _तराशी में लगे हैं वो लोग
जिनपे वाजिब था मेरे दर्द का दरमाँ होना

मैंने इस दिल को जलाया हैं तेरी चाहत में
अब तो तै हैं तेरी महफ़िल में चरागाँ होना

ऐसा लगता है उन्हें ख़ूब मज़ा आता है
देख कर एक परेशां का परेशां होना

काम ऐसा न करो उँगलियाँ उठ्ठें तुम पर
और लाजिम हो कभी तुम को पशेमां होना

है कड़ी धूप में बच्चों पे वो साये की तरह
इतना आसां नहीं औरत के लिए माँ होना

तेरी यादो को मेरे दिल में हैं मेहमान होना
काम मुश्किल हैं मगर इसको हैं आसां होना

देख लो उनकी अना का वहीं अंदाज़ है आज
वहीं बेज़ारी वहीं सब से गुरेज़ाँ होना

धूप ये ग़म की जला भी दे मगर हैं मुझको
अश्क बन कर तेरी आँखों से नुमायाँ होना

ऐ सिया मेरा उसूलों के डगर पर है सफ़र
इस सफ़र का कभी मुमकिन नहीं आसां होना