उनकी प्यारी प्यारी आँखें / रविकांत अनमोल
उनकी प्यारी प्यारी आँखें
हैं क़ुर्बान हमारी आँखें
जाने किन ख़ाबों में गुम हैं
कजरारी कजरारी आँखें
इक टक उनको देख रही हैं
इस दुनिया की सारी आँखें
जब आँखों की बात चली तो
आईं याद तुम्हारी आँखें
जीना मुश्क़िल कर देती हैं
उनकी ऐन कुँवारी आँखें
नागालैंड की देख के वादी
जाती हैं बलिहारी आँखें
जीत से रौशन चेहरों की हैं
कैसी हारी हारी आँखें
आस का दामन छोड़ चुकी हैं
दर्दो-ग़म की मारी आँखें
ज़रा दिलासा दे कर देखो
रो देंगी बेचारी आँखें