Last modified on 27 सितम्बर 2010, at 02:09

उनके एक जां-निसार हम भी हैं / दाग़ देहलवी

उनके एक जां-निसार हम भी हैं
हैं जहाँ सौ-हज़ार हम भी हैं

तुम भी बेचैन हम भी हैं बेचैन
तुम भी हो बेक़रार हम भी हैं

ऐ फ़लक कह तो क्या इरादा है
ऐश के ख्वास्तगार हम भी है

शहर खाली किए दुकां कैसी
एक ही वादा-ख्वार हम भी हैं

शर्म समझे तेरे तग़ाफ़ुल को
वाह! क्या होशियार हम भी हैं

तुम अगर अपनी ख़ू के हो माशूक़
अपने मतलब के यार हम भी हैं

जिस ने चाहा फंसा लिया हमको
दिल-बरों के शिकार हम भी हैं

कौन सा दिल है जिस में 'दाग़' नहीं
इश्क़ की यादगार हम भी हैं