भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उनके गीत गाते हैं बच्चे / संजय चतुर्वेदी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

टूथपेस्ट में बदल कर आते हैं वे घरों में
आँखों के रास्ते उतरते हैं ख़ून में
तुतलाहट के साथ पैदा होते हैं
नई नस्ल में
जहाँ नहीं पहुँचते उनके फ़ौजी दस्ते
उनके गीत गाते हैं बच्चे