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उनके बगैर यूँ ही जी के भी क्या करें / जगदीश तपिश

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उनके बगैर यूँ ही जी के भी क्या करें
रहने दो चाक दामाँ सी के भी क्या करें

मेरे साकिया सुना है तेरा जाम ज़िन्दगी है
जब टूट ही गया दिल पी के भी क्या करें

तुझे हमसफ़र समझकर चल तो दिए थे लेकिन
तेरे साथ कैसे गुज़री कह के भी क्या करें

सुनते हैं जलवागर है तू बुत में बुतकदे में
पत्थर के सामने हम रो के भी क्या करें

दुश्मन हैं तपिश दानाँ नादाँ हैं दोस्त दामन
ख़ाली रहे तो अच्छा भर के भी क्या करें