उन्नत के बीज / चेतन भारती
आवन दे रौनिया धुंधरा हटन दे,
जिन्गीके कहानी नवा गढ़न दे ।।
झन रुंधव सुनता के दूवारी ल ,
काली अवइया हे सुरुज ये गाँव म ।
बिनता के दाग, तनिक मेट तो सही,
हांसत बतिया ली सुम्मत के छाँव म ।।
स्कूल के रद्दा लइका ल रेंगा तो सहीं,
जम्मो टूरा-टूरी ल अक्षर पढ़न दे ।
जिन्गी के...
चुनाव में गिधवा के चाल देखले,
मारे बर झपटी झुरमुठ म सपटे हे ।
गंगान छूवत छतरी ल छोड़ देखना,
अपन कुंदरा के पटिया लचके परे हे ।।
गुड़ी के चौरा म बइठ बिचार के देख,
नवा पुरवइया बर माठ बात करन दे ।
जिन्गी के ..
भीतरौंधी कान टेंड़, सुन तो सही,
मिहनत के बांसुरी सुग्घर धुन तानत हे ।
लालच के दारु थोरिक फेंक तो सही,
धरती के मया तोरे बर उखनात है ।।
पिल्ऱी के जिन्गी बनाय सरख आगू,
कुंड़-कुंड़ म उन्नत के बीज परन दे ।
जिन्गी के ...