भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उन्नत पेड़ पलाश के / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
उन्नत पेड़ पलाश के
- ढाल लिए रण में खड़े,
सम्मुख लड़ते सूर्य से
- बाँह बली ऊपर किए
दुर्दिन में रह कर हरे,
- छाँह घनी भू पर किए ।