भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उन्हें यकीन है / नीता पोरवाल
Kavita Kosh से
उन्हें यकीन है
कि वे ज़हीन हैं
क्योंकि हो रही
हर जघन्य हत्या
हर बलात्कार
हर छेड़छाड़ को
जायज़ ठहराने के लिए
या इस सबसे आँखें मूँदने के लिए
उनके पास बेशुमार तर्क हैं
क्योंकि हो रहे
हर संगीन अपराध को
जाति-धर्म, मत-मतान्तरों के
चश्मे से देखने के बाद
सिर्फ संवेदना भर व्यक्त करना
या कोरी बयानबाजी करना
उन्हें बुद्धिजीवियों की श्रेणी में ला खड़ा करता है
उन्हें पक्का यकीन है
कि यही उनके ज़हीन होने के
सबसे पुख्ता सबूत है