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उन्हें लगी न क्यूँ खबर न पूछिये हम से / रंजना वर्मा

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उन्हें लगी न क्यों खबर न पूछिये हम से
न आये लौट वो कह कर न पूछिये हम से
 
न मंजिलों का पता है न कुछ खबर अपनी
लगे हैं राह के चक्कर न पूछिये हम से
 
लगी है आग जो दिल मे सुलग रहे हैं हम
चलाता कौन है नश्तर न पूछिये हम से

किये थे वादे जो सब तोड़ क्यों दिये पल में
गये क्यूँ रूठ के दिलवर न पूछिये हम से

न जाने कौन उठाने लगा है दीवारें
बिखर गया क्यूँ मेरा घर न पूछिये हम से

बरसता आसमान है उमड़ रहीं लहरें
सता रहा क्यों समन्दर न पूछिये हम से

निभायी हम ने वफ़ाएँ हैं बड़ी शिद्दत से
हुआ वो बेवफ़ा अक्सर न पूछिये हम से

दिलों में दूरियाँ हों और न हो हमदर्दी
क्यों टूटते रहे पत्थर न पूछिये हम से

हमारे उन के बीच तो न थी पर्देदारी
लगाई किस ने है नज़र न पूछिये हम से