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उन आंखों में / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
उन आंखों में झिलमिलाती है तारों की चमक
कौंधता है विश्वास
समूची सृष्टि का।
इन आंखों की धुली-धुली निर्मलता
बांध लेती है कुछ इस कदर...
कि डगमगाते कदम/संभल जाते हैं!
पैरों के नीचे
दुस्सह झाड़ियां हो जहां-
वहां एक नयी राह जन्म लेती है।
उन आंखों के आलोक
जल में गहराई है कुछ ऐसी...
कि बार-बार खो जाता है मन।
और देर तक मिलती नहीं है परछाइयां
उस निष्कंप
विश्वास शिखा के नीचे!
जिन्दगी की सहज आस्था बनकर
फैलता गया है हर तरफ-
उजाला उन आंखों का!
निर्मल भाव के उद्रेक क्षणों में यह
आत्मा के संग
जगमगाता है!!