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उन दो वृक्षों के बीच में सोने की बनी / कालिदास

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तन्‍मध्‍ये च स्‍फटिकफलका काञ्चनी वासयष्टि-
     र्मूले बद्धा मणिभिरनतिप्रौढवंशप्रकाशै:।
तालै: शिन्‍जावलयसुभगैर्नर्तित: कान्‍तया मे
     यामध्‍यास्‍ते दिवसविगमे नीलकण्‍ठ: सुहृद्व:।।

उन दो वृक्षों के बीच में सोने की बनी हुई
बसेरा लेने की छतरी है जिसके सिरे पर
बिल्‍लौर का फलक लगा है, और मूल में
नए बाँस के समान हरे चोआ रंग की
मरकत मणियाँ जड़ी हैं।
मेरी प्रियतमा हाथों में बजते कंगन
पहले हुए सुन्‍दर ताल दे-देकर जिसे नचाती
है, वह तुम्‍हारा प्रियसखा नीले कंठवाला मोर
सन्‍ध्‍या के समय उस छतरी पर बैठता है।