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उन पर मेरा यक़ीन हो जाए / कैलाश झा 'किंकर'

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उन पर मेरा यक़ीन हो जाए
ध्यान उनमें ही लीन हो जाए

आशियाँ बन सके गरीबों का
पहले थोड़ी ज़मीन हो जाए।

अब मुहब्बत का बोलवाला हो
और दुनिया हसीन हो जाए।

किसको कितना है प्यार साथी से
मापने की मशीन हो जाए।

नींद आने से भी क़वल कोई
ग़ज़ल ताज़ा-तरीन हो जाए।