भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उपक्रम / जतरा चारू धाम / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
Kavita Kosh से
आइ हमर पतरामे उचरल जतरा सगुन ललाम
बन्धु! अपन भारत दर्शन हित चलबे चारू धाम।।1।।
जतरा करब जनकपुरसँ पुजि पशुपति हिम-तट जाय
कपिलेश्वरसँ सिंहेश्वर धरि फुल - बेलपात चढ़ाय।।2।।
मगध अवध वैशाली, टोल - पड़ोसक संग समाज
पूजा साजी साजि चलब, हिल-मिलि स्तुति गबइत आज।।3।।