भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उपचार / रामनरेश त्रिपाठी
Kavita Kosh से
हृदय को हम सदा तेरे लिए तैयार करते हैं।
तुझे आनंद-सा सुख-सा सदा हम प्यार करते हैं॥
तुझे हँसता हुआ देखें किसी दुखिया के मुखड़े पर।
इसी से सत्पुरुष प्रत्येक का उपकार करते हैं॥
बताते हैं पता तारे गगन में और उपवन में,
सुमन संकेत तेरी ओर बारंबार करते हैं॥
अनोखी बात है तेरे निराले प्रेम बंधन में
उलझकर भक्त उलझन से जगत को पार करते हैं॥
न होती आह तो तेरी दया का क्या पता होता।
इसीसे दीन जन दिनरात हाहाकार करते हैं॥
हमें तू सींचने दे आँसुओं से पंथ जीवन का
जगत के ताप का हम तो यही उपचार करते हैं॥