उपन्यास लिखने की कोशिश और प्यार / ज्योति शर्मा
इन दिनों जब उपन्यास लिखने की कोशिश में हूँ
प्यार मुझे परेशान किए हुए है
अधेड़ हूँ मैं अब अधेड़ है वह
फिर भी हम दोनों पता नहीं क्यों
किशोरों जैसा व्यवहार कर रहे है
अभी तो मुझे लिखना है 510 पन्नों का उपन्यास
उसे करना है अस्सी करोड़ का कारोबार
कितने काम है
यह उमर प्यार करने की नहीं
फोन पर घण्टों बात करने की नहीं
ष्उसके बिना दुनिया उजाड हैष्
यह कहने की नहीं
इतना जबर प्यार हुआ दुनियादारी की उमर में
जब उसकी उम्र के मर्द राममंदिर अयोध्या जा रहे है
जब मेरी उम्र की औरतें भागवतों में नाच रही है
हम छत पर मिलने की फ़िराक़ में रहते है
ब्यूटीपार्लर का कहकर मैं आती हूँ
वह धंधे का काम है कहकर
यह जो दिमाग़ी परेशानी है जिसे प्यार कहते है
इसका दुख उन्हें क्या पता
जिनका वक़्त ह्वाट्सऐप परए व्यापन करतेए
रेस्तराँ में इटालियन व्यंजन खाते कटता है
कटता है नेटफ़्लिक्स पर मर्डर मिस्ट्री देखते
हमारा तो कटेगा समय जब इस प्यार का माँजा
काटेगा गला किसी रोज़ पार करते सड़क।