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उपस्थिति / नरेश चंद्रकर
Kavita Kosh से
प्रेयसी पत्नी प्रबीता के लिए
तुम उपस्थिति को अर्थ देती हो
फिल्टर से छ्न कर टपकती बून्दों का सजल मध्यम स्वर
तुम्हारी धड़कनों से उठता है
नमक का स्वाद नमक की तरह नहीं लगता
कपड़ों की तह में तुम्हारे हुनर के सबूत छाए रहते हैं
तुम गिलास भर पानी भी लाती हो
तो वह सिर्फ गिलास भर पानी नहीं होता
तुम अपनी उपस्थिति में हज़ार-हज़ार तरह से शामिल रहती हो
पृथ्वी घूमती है तुम्हारे साथ
तुम हो तो उम्मीद बची है
मंगल ग्रह पर जीवन होगा
ब्रम्हाण्ड में कई सूर्य चमकते होंगे !!!