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उपहार ऊ स्वीकार / नवीन निकुंज

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सुन्दर होलै ई संसार
पावी तोरोॅ रं उपहार ।
आँखी में नन्दन-वन उगलै
जैमेॅ तोहेॅ लगौ फुहार ।
देह-गंध चम्पा-सौरभ रं
तोहरोॅ चलवोॅ मलय बयार
सँवरै-सजै सपना जीवन के
पावी तोहरोॅ पावन प्यार ।
तोहरोॅ हँसी चन्दनियाँ जेना
विहँसै देहरी-ऐंगन-द्वार
सामवेद के तोहीं ऋचा जों
तन-सितार के बाजै तार ।
गूंज कभी नै जावै वाला
तोहरोॅ लीला अपरम्पार
गीत तोरोॅ, सब भावो तोरे
तोरे-मन रोॅ मधु झंकार
तोहरोॅ आँखों सेॅ जे छलकेॅ
ऊ सब छै हमरा स्वीकार ।