भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उबटन / जया जादवानी
Kavita Kosh से
दुख का उबटन लगाती हैं
लडकियाँ देह पर
देह चमकाती हैं
कभी गिर जाते हैं ख़ुशी के काले छींटे
कपड़ों पर तो वे
रगड़-रगड़कर दाग छुड़ाती हैं।