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उमर छै हो भईया / ब्रह्मदेव कुमार
Kavita Kosh से
बीती गेलै स्कूल के उमर तहियोॅ।
पर पढ़ै-लिखै के आभियो,
उमर छै हो भईया।
तों चाहोॅ तेॅ सुनी लेॅ भैया,
तोरोॅ आगू झुकतौं जहान।
आपनोॅ कोशिश करी केॅ देखोॅ
तहूँ छोॅ गुणोॅ रोॅ खान।
साँझ-विहान आरो रातोॅ बीतै, पर पढ़ै-लिखै के आभियो
उमर छै हो भईया।
तोहीं तेॅ जग के उजियारा
सुनोॅ हो भैया नौजवान।
नै रहियोॅ अनपढ़-गँवार
तोहीं तेॅ छेकोॅ देशोॅ रोॅ शान।
बीतेॅ चाहे देहोॅ के उमर, पर पढ़ै-लिखै के कहियो
उमर नै बीतै छै हो भईया।
शिक्षा ही सबसे बड़ोॅ धोॅन
ई धन सेॅ बड़ोॅ नै कोय।
जे नै पाबै एकरा भैया
ओकरा सेॅ बड़ोॅ मूर्ख नै कोय।
मानोॅ नै मानोॅ हमरोॅ बात, पर पढ़ै-लिखै के आभियो
उमर छै हो भईया।