उम्मीदों की खोई चौखट / वैभव भारतीय
उम्मीदों की खोई चौखट
ना जाने किस ओर मिलेगी
दौड़ा भागा, सब कुछ त्यागा
बहुत किया है सैर सपाटा
ख़ुद को भी टुकड़ों में बाँटा
प्रेम पाश की लेकर दीक्षा
निश-दिन करते रहे तपस्या
इस रतजागे को उषा की किरण
कहाँ किस ओर मिलेगी
उम्मीदों की खोई चौखट
क्या जाने किस ओर मिलेगी?
यारों ने सब कुछ समझाया
हानि बताया लाभ गिनाया
इस किस्से का अन्त यही है
प्रेम कथा का ध्वंस यही है
हर हंसती सूरत दुनिया में
इक टूटे दिल का तोहफ़ा है
तोहफ़ा है, या एक सजा है?
तोहफ़े और सजा की उलझन
रब जाने किससे हल होगी
उम्मीदों की खोई चौखट
ना जाने किस ओर मिलेगी।
कितना हुंकार भरे कोई
पानी अंगार करे कोई
जो बीत गई सो बात गई
आ गया दिवस वह रात गई
रातों के काले किस्से भी
उजियारों का ही हिस्सा है
ये बात समझने में मन को
कुछ सदियों की चाहत होगी
उम्मीदों की खोई चौखट
ना जाने किस ओर मिलेगी।