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उम्र का दौर जाने किधर जायेगा / रंजना वर्मा

उम्र का दौर जाने किधर जायेगा
ये न सोचो कि कैसा सफ़र जायेगा

दो कदम तुम बढ़ो दो कदम हम बढें
जिंदगी का सफर यों गुजर जायेगा

लोग मिलते गये काफ़िला बन गया
हम उधर बढ़ चले ये जिधर जायेगा

मुश्किलों से भरी जिंदगी की डगर
जो बढ़ा भाग्य उस का सँवर जायेगा

लक्ष्य जब जिंदगी का मिलेगा तुम्हें
बोझ बेचैनियों का उतर जायेगा

काम करते रहो नाम जपते रहो
श्याम बिन गीत ये बेबहर जायेगा

रोक पाता नहीं प्राण को है कोई
एक दिन ये तराना ठहर जायेगा