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उम्र भर इंतज़ार कर आये / रंजना वर्मा

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उम्र भर इंतज़ार कर आये
काश उनकी कोई ख़बर आये

राह पर आँख बिछाये बैठे
इस तरफ वह नहीं मगर आये

मेरी मंजिल तलक जो जाती हो
राह ऐसी कोई नज़र आये

धूप तीखी है पाँव जलते हैं
छाँव वाला कोई शज़र आये

थे शहर में तलाशते रोजी
लौट फिर आज अपने घर आये

रहजनों की ही भीड़ है दिखती
बन के कोई तो राहबर आये

तीरगी घेर रही है हरसूं
शब ये गुजरे कभी सहर आये