भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उम्मीद / अच्युतानंद मिश्र
Kavita Kosh से
एक गेंद डूब चुकी है
एक पेड़ पर बैठे हैं लोग
एक पेड़ डूब जाएगा
डूब जाएंगी अन्न की स्मृतियाँ
इस भयंकर प्रलयकारी जलविस्तार में
एक-एक कर डूब जाएगा सब-कुछ ...
एक डूबता हुआ आदमी
बार-बार ऊपर कर रहा है अपना सिर
उसका मस्तिष्क अभी निष्क्रिय नहीं हुआ है
वह सोच रहा है लगातार
बचने की उम्मीद बाक़ी है अब भी ...