उयि क्यतने बड़े बहादुर हयिं? / पढ़ीस
धरती पर जब ते पाउँ धरिनि, सुभ करमन<ref>कर्म, क्रिया कलाप</ref> का संहारू किहिनि,
उलटी-पलटी बुद्धि के सहारे, अपनयि मतु पहचारि दिहिनि;
कोई जो सूधे दिल ते ब्वाला, बड़े दिमागन झारि दिहिनि-
उयि क्यतने बड़े बहादुर हयिं!
जो-नंगे भूखे परे रहीयँ, तिन का अउरउ नंगा किहनिनि;
जेतनी मरजादयि झंपी<ref>ढंकी</ref> रहयि, बेदरदी से उधारि लिहिनिनि,
जबरन<ref>जबरदस्ती</ref> ते धक्का खायिनि तउ, निबरन<ref>कमजोर</ref> के मुक्का जड़ि दिहिनिनि;
उयि क्यतने बड़े बहादुर हयिं!
कोई की सुन्दरि बिटिया देखिनि, तुरतयि पाछे लागि लिहिनिद्ध
अपनिन से कउनु बात पूँछयि, उयि जहाँ चहिनि उधारू मारू खायिनि-
कुतवा ब्वकरा अस घुसे छहोरिन<ref>ताँक - झाँक करके</ref>, मारिनि अउर मारू खायिनि-
उयि क्यतने बड़े बहादुर हयिं!
हन्निन-भइँसन का मारिनि, ध्वाखा-धंधी मा, मचानु गाड़िनि!
ढुक्के-ढुक्के लुक्के लुक्के चुप्पे ते बाघु पछारि दिहिनि,
दूयिउ ते दउरि दहारि हिहिसिन तउ तंबा<ref>पायजामा</ref> तकु तर कयि डारिनि;
उयि क्यतने बड़े बहादुर हयिं!
तोबइ, बंबयि, जहरीली गैसयि, बड़ी-बड़ी ईजाद किहिनि,
बदरे चढ़ि कयि, पिरथी पर डारिनि मानउ सक कुछु संघारिनि,
दिन-राति निहत्थे मनइन का जयिसी पायिनि तायिसि भूँजिनि;
उयि क्यतने बड़े बहादुर हयिं!
साह्यब का हाथा-पइयाँ <ref>हाथ-पैर से, सत्याग्रह द्वारा</ref> ध्यरउ, द्याखउ असिलि बहादुरी जब,
खींसयि द्याखउ लूरखुरिया<ref>खुशामद</ref> द्याखउ, अउर पालिसी द्याखउ अब;
उयि हत्या करयि क बड़े सिपाही, यिहि का मउका पावयिं तब
उयि क्यतने बड़े बहादुर हयिं!