उर्दू में ग़ज़ल कहिए हिन्दी में ग़ज़ल कहिए / विनय कुमार
उर्दू में ग़ज़ल कहिए हिन्दी में ग़ज़ल कहिए।
जिसमें भी ग़ज़ल कहिए पर बात असल कहिए।
लफ़्ज़ों की लालटेनें आँधी में जलाता हूँ
अब इसको जुनू कहिए या इसको षग़ल कहिए।
बातें ज़रा खरी हों लेकिन हरी भरी हों
दिल जाएं संभल कहिए, दिल जाएँ बहल कहिए।
मेरी ग़ज़ल गिलहरी ज़र्रा लिए खड़ी है
कहिए इसे हिमाक़त या इसको पहल कहिए।
सहिल पे ख़ुदपरस्ती साहिल पे तंगनज़री
संगम से स्नान करिए किष्ती में ग़ज़ल कहिए।
इज्ज़त जहान भर की पर सिर्फ महिफ़लों में
अब इसको सितम कहिए या इसको फ़ज़ल कहिए।
हम भी शरीफ़ थे कल पर अब छ्टे हुए हैं
सब दुश्मनों को मूसल अपनों को खरल कहिए।
हिन्दी की हुमक उसमें उर्दू की खनक इसमें
अब आपकी मर्ज़ी है कहने को नकल कहिए।
ये वक़्त के तमाचे, तोडें ग़ज़ल के साँचे
हम जो कहें चुनांचे उसको भी ग़ज़ल कहिए।
कविता भी कभी कहिए लिखिए भी कभी ग़ज़लें
लिखिए ग़ज़ल में कविता कविता में ग़ज़ल कहिए।