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उर्दू (चेतावनी) / शब्द प्रकाश / धरनीदास
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दौड़ता भुलाना वो ठिकाना फरामोश किया, जाता है जहाँ को तहाँ क्या जवाब करेगा।
किया था कटार जो अजार काहूको न दूँगा, लूँगा तेरा नाम जो तमाम ऐब जरेगा।
कौड़ी पाछे धावता है हीरा विसरावता है, बोअता बबूर सो अंगूर कैसे करेगा।
धरनी पुकारता है आज न सँभारत है, बड़ी बाजी हारता है कहाँ ताँइ भरैगा॥19॥