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उलझा हुआ काम / नरेश अग्रवाल

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यह एक उलझा हुआ काम था
इसलिए इसे छुना नहीं चाहते थे हम लोग
कई दिनों तक यह यूं ही पड़ा रहा
जब भी देखते थे हम इसे
परेशानियां हमारी बढ़ जाती थी
आखिर में एक दिन ठान ही लिया हमने
किसी तरह से भी इसे खत्म करना है
और बैठ गए हम सारे मिलकर
ताकि कहीं दिक्कत आये तो
सुलझा लेगा कोई न कोई, हम में से एक।
सारी चीजों को हम गिनते रहे
मिलाते रहे उनके आकार को
बनाने वाली कम्पनी के चित्रों से
कई बार चित्र भी स्पष्ट नहीं थे
उन्हें फिर से समझा गया
मदद ली गई कम्पनी के बीजक की
संख्या के अनुमान पर उन्हें सुलझाया गया
पूरे दो घंटे लगे इस काम में
किसी ने भी दूसरी ओर नहीं झांका
न ही चाय-पान को याद किया
सभी हर क्षण तनाव में थे
जैसे कोई पहेली सुलझा रहे हों,
अंत में सभी के सर हलके हुए
हिम्मत बढ़ी, दूसरे कठिन कामों को करने की।