भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उषा काल में / कुँवर दिनेश

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

1
कहीं बुराँश
वसन्त -वह्नि लिये
कहीं पलाश
2
ज़रूरी काम
ठहर जा शहर!
ट्रैफिक जाम
3
हर पहर
कहे व्यथा नदी की
हर लहर
4
नदी में बाढ़
नेता-अधिकारी की
मैत्री प्रगाढ़
5
उषा काल में
खगों की आकुलता
डाल -डाल पे
6
साँझ सावनी
शिमला क्षितिज पे
बदली घनी
7
सोए हैं सब
जग रहा जुगनू
जगती शब
8
राह पुरानी
बच्चों की किलकारी
शाम सुहानी
(‘जग रहा जुगनू’: हाइकु -संग्रह-2018से)