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उसका यह जीवन / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
शरद का लिहाफ़ ओढ़े
वह जो गुनगुना रही
व्याकुल प्रतीक्षा का गीत
उसका यह जीवन
देहरी की आँख हो गया है