भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उसकी आँखें जो दिल में उतर जायेंगी / शैलेश ज़ैदी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उसकी आँखें जो दिल में उतर जायेंगी,
देखना कोई हंगामा कर जायेंगी.

मेरी यादों को इस तरह दावत न दो,
ये जब आयेंगी आकर ठहर जायेंगी.

इन वफाओं पे कैसे भरोसा करूं,
ये वाफएं किसी दिन मुकर जायेंगी.

हौसला हो तो ख्वाबों की ये कश्तियाँ,
होके तूफ़ान से भी गुज़र जायेंगी.

ये लताएँ बहोत ही हरी हैं मगर,
आबपाशी न होगी तो मर जायेंगी.

यूँ ही गर हम विकल्पों में जीते रहे,
हसरतें रेत बनकर बिखर जायेंगी.

तुम अगर हमनवाई पे क़ायम रहो,
वादियाँ ज़िंदगी की संवार जायेंगी.