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उसकी आँखों में नमी सी रह गई / रविकांत अनमोल

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बिन कहे कोई कहानी कह गई
उसकी आँखों में नमी सी रह गई

बर्फ़ ख़ाबों की जो पिघली ज़िह्‌न में
आँख से कोई नदी सी बह गई

मैं भी तन्हा हो गया हो कर जुदा
और वो लड़की अकेली रह गई

आसमानों ने सितम ढाये बहुत
वो तो धरती थी कि सब कुछ सह गई

फूल डाली पर लगा है झूमने
कान में उसके हवा क्या कह गई