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उसके इरादे साफ़ थे, उसकी उठान साफ़ / द्विजेन्द्र 'द्विज'

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उसके इरादे साफ़ थे, उसकी उठान साफ़

बेशक उसे न मिल सका ये आसमान साफ़


बेशक लगे ये आपको भी आसमान साफ़

देखी नहीं वो पाँवों के नीचे ढलान साफ़


उनको है चाहिए यहाँ सारा जहान साफ़

घर साफ़, बस्ती साफ़, मकीन—ओ—मकान साफ़


नीयत ही साफ़ और न जब थी ज़बान साफ़

होता कहाँ फ़िर उनका कोई भी बयान साफ़


सारे गुनाह क़ातिलों के फिर करे मुआफ़

फिर करें सुबूत वो गुम सब निशान साफ़


घेरे हुए हुज़ूर को हैं जी—हुज़ूर जब

कैसे सुनेंगे प्रार्थना या फिर अज़ान साफ़


उसका क़ुसूर इतना ही था वो था चश्मदीद

आँखों से रौशनी गई मुँह से ज़बान साफ़