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उसके दिल को जोड़ लिया / धीरज श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
सेतु बनाकर अपने दिल से,उसके दिल को जोड़ लिया।
मैंने जैसे कोई तारा आज गगन से तोड़ लिया।
आओ खुशियों साथ निभाओ
और सदा ही संग रहो !
आँगन मेरे महको बेला
लगकर मेरे अंग रहो !
सच कहता हूँ मैंने मुँह को,अवसादों से मोड़ लिया।
मैंने जैसे कोई तारा आज गगन से मोड़ लिया।
सरसों के पीले फूलों सा
झूमे औ' मुस्काये मन !
पछुवाई भी भंग पिलाये
खूब हँसे बौराये मन !
रंग गुलाबी घोला मैंने अपने ऊपर छोड़ लिया।
मैंने जैसे कोई तारा आज गगन से तोड़ लिया।
आऊँ जाऊँ अंदर बाहर
ठुमक ठुमककर नाचू मैं !
और सुखों की इक - इक चिट्ठी
अन्तर्मन में बाँचू मैं !
देख दुखों ने अपना सर औ' अपना माथा फोड़ लिया।
मैंने जैसे कोई तारा आज गगन से तोड़ लिया।